
श्री नीरज कुमार दोहरे, आईआरएसएस ने दिनांक 11.10.2022 को मध्य रेल के सोलापुर मंडल पर मंडल रेल प्रबंधक के रुप में कार्यभार ग्रहण किया।
सोलापुर मंडल की प्रमुख विशेषताएं
आर टी आई 2005
सामान्य प्रशासन संगठनात्मक ढॉंचा
राजपत्रित
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क्र.सं. | अधिकारी का नाम | पदनाम | फोन नंबर |
01 | श्री शैलेश गुप्ता | मंडल रेल प्रबंधक | 0217-2312770 |
02 | श्री शैलेन्द्र सिंह परिहार | अपर मंडल रेल प्रबंधक | 0217-2312754 |
03 | श्री ए. पी. यादव | मं. रे.प्र. के कार्यकारी सहायक एवं वरि. मंडल सामग्री प्रबंधक | 0217-2311843 |
04 | श्री एच.वी.सुमंत | राजभाषा अधिकारी | - |
05 |
| मंडल रेल प्रबंधक के निजी सचिव(राजपत्रित) | - |
सोलापुर मंडल का इतिहास
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रेल प्रणाली के तौर पर जीआईपी रेलवे के हिस्से के रूप में सोलापुर मंडल रायचुर से पुणे/मनमाड तक मेन लाइन से जुड़ा 140 वर्ष पुराना मंडल है।क्षेत्रीय रेलों की स्थापना के पश्चात यह मंडल 1966 से 1977 के बीच दक्षिण मध्य रेलवे का हिस्सा था।कुछ मार्ग छोड़कर और कुछ मार्ग प्राप्त करने के बाद यह फिर से मध्य रेलवे का हिस्सा बन गया। मूलत: इस मंडल पर मुख्य मार्ग पर बड़ी लाइन के अलावा बीजापुर की ओर मीटर लाइन की छोटी शाखा थी, जो अब बड़ी लाइन है।साथ ही मिरज से लातूर को जोड़ने वाली 370 कि मी लम्बीछोटी लाइन भी इस मंडल पर थी।बारसी लाइट रेलवे( बीएलआर ) का छोटी लाइन वाला यह लम्बा मार्ग पूरी तरह बड़ी लाइन में परिवर्तित हो जाने से अब छोटी लाइन इतिहास का हिस्सा बन चुकी है।
पूरे मंडल पर खपरैल की ऊंची छतों की कई इमारतें हैं, जो इनके रख-रखाव के लिए एक प्रकार की चुनौती है। परंतु दिखने में ये इमारतें आकर्षक और ऊंची ढाल वाली सिलिंग छत के कारण सुविधाजनक भी हैं।खपरैल की छत और कार्यालयों की कतार की दोनों तरफ विशाल बरामदा और बीच में हरियाली सहित ‘ ई ’ आकार की मंडल कार्यालय की इमारत निश्चित रुप से बेमिसाल वास्तु है। संपूर्ण भारतीय रेल पर मंडल कार्यालय की इस प्रकार की यह एकमात्र अनोखी इमारत हो सकती है।उसी प्रकार मंडल रेल प्रबंधक निवास की इमारत भी पूरे सोलापुर शहर में ऐतिहासिक इमारत है।
सोलापुर शहर 16 ( सोला ) गांवों के समूह से बना हुआ है और इतिहास में उसका बड़ा महत्व है। डॉ.द्वारकानाथ कोटणीस सोलापुर के गौरवान्वित पुत्र हैं, जिन्हें वर्ष 1938 में चीन-जापान युध्द के दौरान घायल चीनी सैनिकों का ईलाज करने के लिए चुनकर चीन भेजा गया था। डॉ. द्वारकानाथ कोटणीस ने चीन में केवल 32 वर्ष की युवा अवस्था में निधन होने तक 4 वर्ष स्वैच्छिकसेवा दी. उनकी इन सेवाओं को चीन सरकार द्वारा आज भी दृढ़ता से याद किया जा रहा है।
वर्ष 1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए“ नमक सत्याग्रह ” के दौरान सोलापुर शहर ने मई 1930 में 3 दिन के लिए ब्रिटिश शासन से अक्षरश: स्वतंत्रता की घोषणा की गई, तब सभी सरकारी पदाधिकारियों और पुलिस को शहर से बाहर रहने पर मजबूर होना पड़ा था। ब्रिटिश शासन को फिर से बहाल करने के लिए ब्रिटिश सेना के सोलापुर में दाखिल होने तक 3 दिन म्युनिसिपल भवन पर तिरंगा झंडा फहरता रहा। इस अभूतपूर्व आंदोलन के लिए 04 स्वतंत्रता सेनानियों यथा;मल्लप्पा धनशेट्टी, जगन्नाथ शिंदे, कुर्बान हुसैन और किसन सारडा को हिरासत में लिया गया और सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाकर जनवरी 1931 में उन्हें फांसी पर लटकाया गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में इन सभी चार शहीदों ने अपनी अमिट छाप छोड़ दी।
सोलापुर मंडल में दक्षिणी महाराष्ट्र क्षेत्र और कर्नाटक का कलबुरगि जिला शामिल है। मुंबई तथा चेन्नै के बीच मुख्य लाइन का हिस्सा है। सोलापुर मंडल इस क्षेत्र के विकास के लिए एक नये पर्व में प्रवेश करने जा रहा है। अगले 3 वर्ष में इस क्षेत्र में विकास और समृध्दि लाने के लिए चलाई जा रही है।