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उपलब्धियां



माटुंगा कारखाने की उपलब्धियां 
  • 12 अप्रैल वर्ष 1906 - दादर से माटुंगा  के मध्य स्थित दलदली जमीन को माटुंगा कारखाने के निर्माण के लिए प्राप्त करने के प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किया गया था I
  •  वर्ष 1911 - रेल्वे बोर्ड द्वारा सवारी व माल डिब्बा कारख़ाना माटुंगा की स्थापना का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया I उस समय इस दलदली जमीन की कीमत रु. 7,93,213/- थी I कारखाने तथा कर्मचारियों के लिए आवास के निर्माण पर लागत रु.15,35,285/- आनी थी I 
  •  वर्ष 1915 - ग्रेट इंडियन पैनिसुलर रेल्वे के माल तथा सवारी डिब्बों की मरम्मत हेतु कारखाने की स्थापना हुई I
  • वर्ष 1918-19 - पहली सेल चार्जिंग वैन का निर्माण I 
  • वर्ष 1919-20 - माल डिब्बा का निर्माण कार्य आरंभ I  
  • वर्ष 1919-20 - प्रथम संरक्षा उपाय के तहत बॉडी साइड विंडो बार का प्रावधान करना आरंभ I
  •  वर्ष 1932-33 - मानक डिज़ाइन के अनुरूप प्रथम श्रेणी, सर्वेंट और रेस्टोरेंट का निर्माण आरंभ I
  • वर्ष 1937 - प्रथम ए.सी. कोच का निर्माण I
  • वर्ष 1939-40 - रक्षा विभाग के लिए मोटर ट्रौली का निर्माण I  
  • वर्ष 1941-42 से विदेशी कोचों का निर्यात का आरंभ I
  • वर्ष 1941-42 - रक्षा विभाग के लिए 12 बी.जी. कोचों को एंबुलेंस ट्रेन क्रमांक 27 में परिवर्तित किया गया I
  • वर्ष 1949-50 - मोटर कोचों को डबल देकर कोचों में परिवर्तित करने का कार्य आरंभ I
  • वर्ष 1953 - कुर्ला में माटुंगा कारखाने के प्रशासनिक नियंत्रण में ट्रेक वेगन मरम्मत कारख़ाना आरंभ I
  • वर्ष 1954 - इस वर्ष दिसंबर में संघीय गणतन्त्र युगोस्लावाकिया के राष्ट्रपति मार्शल टिटो के आगमन के अवसर पर विशेष कोच की व्यवस्था I   
  • वर्ष 1955 - भारत में अपनी  तरह की पहली ए.आर.टी. का निर्माण किया गया जिसमें स्वत: का आपरेशन थियेटर और अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध है I
  • वर्ष 1956-57 - भारत के राष्ट्रपति हेतु ए.सी. ट्रिवन कार कोच क्रमांक 9000 और 9001 का निर्माण I
  • वर्ष 1960 - बुनियादी प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना I
  • वर्ष 1963-64 - एम.सी. ग्रेगोर स्लांडिंग तथा ओपन वैगन के लिए सिलेन्डर प्रकार की स्वीनिंग रूफ अटैचमेंट को विकसित किया गया I
  • वर्ष 1982 -ई.एम.यू.(पी.ओ.एच.) कार्य प्रणाली आरंभ I
  • वर्ष 1991-92 - रेल्वे पर अस्पताल के तौर पर प्रयोग में लाए जाने हेतु 03 कोचों को ‘’जीवन-रेखा’’ ट्रेन में परिवर्तित किया गया I
  • 7 फरवरी वर्ष 1995 - माटुंगा कारखाने द्वारा सज्जित की गयी कोच प्रथम डी.एम.यू. डीजल पुश पुल ट्रेन दिवा से वसई के मध्य चलाई गयी I
  • वर्ष 2002-03 - भारतीय रेल की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर 08 प्राचीन कोचों की मरम्मत I
  • वर्ष 2007-08 दौरान 12 माह के अवधि वाली पी.ओ.एच. के स्थान पर 18 माह की अवधि वाली पी.ओ.एच. तकनीक अपनाई I
  • वर्ष 2013 - अमरावती एक्सप्रेस के लिए प्रथम रिफ्रविश्ड रेक तैयार किया गया I
  • वर्ष 2013 - अपनी तरह की प्रथम मेडिकल रिकवरी वैन तैयार की गई I इस कोच में आधुनिक मेडिकल उपकरण उपलब्ध है I लगातार विद्यूत आपूर्ति हेतु जनरेटर का प्रावधान भी किया गया I 2,01,304 कोचों को ग्रीन टॉयलेट में परिवर्तित किया गया I
  • वर्ष 2014 - बायो टॉयलेट टैंक लगाना आरंभ किया I 
  •  वर्ष 2015 - पहली बार द्वितीय ए.सी. कोच में वैक्यूम फ्लशिंग प्रणाली सहित ट्रिवन टॉयलेट का प्रावधान किया I
  • वर्ष 2016 - माटुंगा कारखाने के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपक्ष्य में आयोजित शताब्दी उत्सव समारोह में आदरणीय एम.आर. उपस्थित हुए I
  • वर्ष 2016 - उपनगरीय ट्रेनों के 10 रैकों में महिला कोचों मॆं  सी.सी.टी.वी. लगाए गये I
  • वर्ष 2016 - सी-मैन ट्रेक्शन मोटरों के लिए ओवर हौलिंग के सुविधा विकसित की गई I
  • वर्ष 2017 - मार्च माह में  20 किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित किया गया I
  • वर्ष 2017 - प्रोटोटाइप बायो टैंक  के डिज़ाइन में संशोधन कर डेक्कन ओडिसी कोचों की सभी टॉयलेट में बायो टैंक लगाए गए I
  • वर्ष 2017 - ए.सी. कोच टॉयलेट के अंदर से आने वाली बदबू को दूर करने के लिए ए.सी. कोच टॉयलेटों में संशोधन किया गया I
  • वर्ष 2017 में माटुंगा कारखाने को आय.एस.ओ 50001,  आय.एस.ओ.3834, 5 एस तथा ग्रीन को-रेटिंग प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ I
  • वर्ष 2018 में माटुंगा कारखाने द्वारा डी.ई.एम.यू. कोचों को सेल्फ प्रोपेल्ड इन्स्पेक्शन कार सी.आर.15403 में परिवर्तित किया गया I
  • वर्ष 2018 में माटुंगा कारखाने ने स्वयं के संसाधनों से स्वचालित और डिजिटल डी.वी. टेस्ट बेंच के डिज़ाइनिंग विकास साज-सज्जा कर उसे स्थापित किया I 
  • वर्ष 2018 में माटुंगा कारखाने ने एन.ए.बी.एल, आय.एस.ओ., आय.ई.एस.17208:2005 प्रमाण पत्र प्राप्त किया I
  • वर्ष 2018 में माटुंगा कारखाने द्वारा एस.एस. 2 शेड्यूल पूर्ण कर दिनांक 05-01-2019 को पहली एल.एच.बी. कोच तैयार की I
  • वर्ष 2019: माटुंगा वर्कशॉप ने 05.01.2019 को एसएस-2 शेड्यूल पूरा कर लिया और पहला एलएचबी कोच बन गया।
  • वर्ष 2019: ISMISO से प्रमाणित होने वाली भारतीय रेलवे की पहली कार्यशाला - 4500:2018
  • वर्ष 2019: 6 डीईएमयूटीसी कोच का पीओएच
  • वर्ष 2019: ट्रेन नंबर के लिए उत्कर्ष रेक निकला। 11311 डीएन/11312 यूपी सोलापुर-हसन एक्सप्रेस।
  • वर्ष 2019: उद्योग 4.0 . को लागू करने के लिए भारतीय रेलवे पर पहली कार्यशाला
  • 1.05 मेगावाट सौर ऊर्जा की कमीशनिंग।
  • वर्ष 2020: CTRB सेक्शन को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया गया।
  • वर्ष 2020: 40 केएलडी क्षमता एसडीपी की कमीशनिंग
  • वर्ष 2020: एलएचबी एसएस1 का काम शुरू।
  • वर्ष 2021: 100 एलएचबी एसएस1 कोच निकले।
  • वर्ष 2021: रेल कौशल विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत वेल्डिंग प्रशिक्षण का प्रारंभ

माटुंगा कारखाने में प्रथम 

  • वर्ष 1993-94 में पहली बार बोगी माउंटेड एअर ब्रेक प्रणाली आरंभ I
  • वर्ष 1998 में पहली बार “ ई.एम.यू.’’ कोचों का पुनर्वसन कार्य आरंभ I 
  • वर्ष 2001 में माटुंगा कारखाने ने भारतीय रेलों में सर्वप्रथम “आय.एस.ओ. 9001’’ प्रमाण पत्र प्राप्त किया I
  • वर्ष 2002 में माटुंगा कारखाने ने भारतीय रेलों में सर्वप्रथम “आय.एस.ओ. 14001’’ प्रमाण पत्र प्राप्त किया I
  • वर्ष 2002 में माटुंगा कारखाने ने सर्वप्रथम मेल/एक्सप्रेस रेकों को एअर-ब्रेक सिस्टम में परिवर्तित किया I
  • वर्ष 2003 में माटुंगा कारखाने ने भारतीय रेलों  में सर्वप्रथम किसी  अन्य इकाई “कल्याण फ्रेट डिपो’’  को “आय.एस.ओ. 9001‌‌-2000’’ प्रमाण पत्र हेतु परामर्श प्रदान किया I
  • वर्ष 2003 में माटुंगा कारखाने ने पूरे मध्य रेल में सर्वप्रथम प्रोत्साहन भत्ता पाने वाले कर्मचारियों को “ई.सी.एस.’’ के माध्यम से वेतन प्रदान किया I
  • वर्ष 2004 भारतीय रेलों में माटुंगा कारखाने ने सर्वप्रथम बोगी की सफाई ग्रिट ब्लास्टिंग द्वारा आरम्भ की तथा रोलिंग स्टॉकों  के सुरक्षा मानकों में  सुधार किया I
  • वर्ष 2008- भारतीय रेलों में माटुंगा कारखाने ने सर्वप्रथम अनारक्षित कोचों में कुशन लगाने का कार्य आरंभ कर जनवरी, 2011 तक इस कार्य को पूर्ण कर लिया I
  • वर्ष 2011- भारतीय रेलों में माटुंगा कारखाने ने सभी कोचों में बोगी माउन्टेड एअर ब्रेक सिस्टम लगाने का प्रावधान किया I
  • वर्ष 2017 - भारतीय रेलों में माटुंगा कारखाने ने सर्वप्रथम सी.एन.जी.  को उपयोग में लाने का कार्य आरंभ किया I  
  • वर्ष 2018 - भारतीय रेलों में माटुंगा कारखाने ने पहली बार दीवारों पर वर्टिकल गार्डन  लगाएI  
  • भारतीय रेलों में सर्वप्रथम कारखाने ने व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रबंधन क्रियान्वयन प्रणाली का  आय.एस.ओ. 45001:2018 प्रमाण पत्र प्राप्त किया I




Source : CMS Team Last Reviewed : 05-12-2022  


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